इज़्ज़त ( ग़ज़ल) प्रतियोगिता हेतु-07-Apr-2024
दिनांक- 07.04.2024 दिवस- रविवार प्रदात्त विषय- इज़्ज़त ( ग़ज़ल) प्रतियोगिता हेतु
पात्र की इज्ज़त करो कुपात्र से हो दूर, गर मिले कुपात्र को दंभ से होगा भरपूर।
इज़्ज़त के बिना शोहरत होती है सदा चूर, इज़्ज़त के साथ गह लो बस जाएगी ये ऊर।
नफ़रत व्यापारी सुन लो! तुम तो हो बड़े कूर, मोहब्बत की खेती कर लो बन जाओगे तुम नूर।
इज़्ज़त की रोटी खाओ आपा को करो चूर, जर्जर बनाओ इसको भग जाए कहीं दूर।
इज़्ज़त हमारी पूँजी इससे ही हम मशहूर, चेहरे की सुंदरता तो लगती है मानो खूर।
इज़्ज़त का जामा पहने हैवान देख रहा घूर, लोगों को छलने का तो उसमें बड़ा है गूर।
इसको कमाने का बस सीख लो दस्तूर, इज़्ज़त के बिना जीवन- जीवन नहीं हुज़ूर।
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
16-Apr-2024 11:07 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Reyaan
11-Apr-2024 06:07 PM
Nice
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Shnaya
11-Apr-2024 04:47 PM
V nice
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